Economic Survey 2023: देश की अर्थव्यवस्था में तेज रफ्तार से रिकवरी हुई है और इकॉनमी के सभी सेक्टर महामारी से पहले की स्थिति में आ चुके. इतना ही नहीं, भविष्य में आर्थिक विकास की स्थिति में और सुधार आने की उम्मीद है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर का इकॉनमी पर उतना बुरा असर नहीं पड़ा, जितना पहली लहर का पड़ा था.
ये बातें आज आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रिंसिपल इकनॉमिक एडवाइज़र संजीव सान्याल और हाल में नियुक्त मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहीं. आर्थिक सर्वेक्षण के बाद होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस को आमतौर पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ही संबोधित करते हैं. लेकिन नागेश्वरन को तीन दिन पहले ही नियुक्त किया गया है, लिहाजा आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस को मुख्य तौर पर सान्याल ने ही संबोधित किया.
Economic Survey 2023: क्या होता है आर्थिक सर्वे
ये एक तरह से अर्थव्यवस्था की सालाना आधिकारिक रिपोर्ट होती है। इसके जरिए सरकार देश के अर्थव्यवस्था की वास्तविक हालत के बारे में बताती है। इसमें भविष्य में बनाई जाने वाली योजानाओं और अर्थव्यवस्था में आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया जाता है। इस सर्वे रिपोर्ट में देश के आर्थिक विकास का अनुमान भी बताया जाता है। सर्वे रिपोर्ट में आगामी वित्त वर्ष का भी एक खाका पेश कर दिया जाता है। देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी या फिर धीमी रहेगी, इसकी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा सर्वे में सरकार को कुछ सिफारिशें भी दी जाती हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 में 6.5% रहेगी GDP की ग्रोथ
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण की तरफ से संसद में पेश किए गए इकनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में भारत की जीडीपी नॉमिनल टर्म में 11% की बेसलाइन वैल्यू से ग्रोथ करेगी। वहीं, रियल टर्म्स में इंडियन इकनॉमी 6.5 पर्सेंट के हिसाब से ग्रोथ करेगी। सर्वे में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023 में देश की अर्थव्यवस्था ने 8.7 पर्सेंट से हिसाब से ग्रोथ की है।
विभिन्न एजेंसियों का ग्रोथ अनुमान
एजेंसी | ग्रोथ का अनुमान (2023-24) |
इकोनॉमिक सर्वे | 7% |
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) | 6.8% |
विश्व बैंक | 6.9% |
IMF | 6.8% (2023) |
Economic Survey 2023: आर्थिक सर्वे की खास बातें
- आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी ग्रोथ सुस्त रह सकती है और यह 8-8.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है. चालू वित्त वर्ष में यह 9.2 फीसदी रहने का अनुमान है.
- अगले वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ का आकलन 70-75 अमेरिकी डॉलर के भाव पर कच्चे तेल के आधार पर है. इसका मौजूदा भाव करीब 90 डॉलर है.
- आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि 20 साल में पहली बार किसी सरकारी कंपनी का निजीकरण हुआ और यह बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, पवन हंस, आईडीबीआई बैंक, बीईएम और आरआईएनएल की बिक्री के लिए रास्ता मजबूत करेगा. सरकार ने कुछ ही दिन पहले टाटा ग्रुप को एयर इंडिया का स्वामित्व 18 हजार करोड़ रुपये में सौंप दिया. इसमें 15300 करोड़ रुपये कर्ज चुकता करने में किया जाएगा.
- आर्थिक सर्वे के मुताबिक ई-कॉमर्स को छोड़ आईटी-बीपीओ सेक्टर वित्त वर्ष 2020-21 में सालाना आधार पर 2.26 फीसदी की दर से बढ़कर 19.4 हजार करोड़ डॉलर का हो गया.
- आर्थिक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर (373.43 लाख करोड़ रुपये) की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इस अवधि में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 लाख करोड़ डॉलर (104.56 लाख करोड़ रुपये) खर्च करने होंगे.
- आर्थिक सर्वे के मुताबिक रिन्यूएबल्स को प्रोत्साहन दिए जाने के बावजूद नीति आयोग ते ड्राफ्ट नेशनल एनर्जी पॉलिसी के आधार पर कोयले की मांग बनी रहेगी और वर्ष 2030 तक 130-150 करोड कोयले की मांग रहेगी.
सर्विस सेक्टर के सुस्त होने का अनुमान
सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले वर्ष की 8.4 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 8.2 प्रतिशत हो जाएगी.
Economic Survey 2023 LIVE: आर्थिक सर्वे में खास बात
आर्थिक सर्वे में अनुमान दिया गया है कि साल 2023-24 में आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान है. बीते वर्ष जब 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वे रिपोर्ट पेश किया गया था तब 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 8 से 8.5 फीसदी के दर से विकास करने का अनुमान जताया गया था. यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट के चलते आर्थिक विकास दर बीते वर्ष जताये गए अनुमान से कम रह सकती है.
एयर इंडिया के निजीकरण से विनिवेश का रास्ता मजबूत
Economic Survey 2023: आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि 20 साल में पहली बार किसी सरकारी कंपनी का निजीकरण हुआ और यह बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, पवन हंस, आईडीबीआई बैंक, बीईएम और आरआईएनएल की बिक्री के लिए रास्ता मजबूत करेगा. सरकार ने कुछ ही दिन पहले टाटा ग्रुप को एयर इंडिया का स्वामित्व 18 हजार करोड़ रुपये में सौंप दिया. इसमें 15300 करोड़ रुपये कर्ज चुकता करने में किया जाएगा.
- इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विकास दर 9.2 फीसदी रहेगी. वहीं, अगले साल (वित्त वर्ष 2023-24) तरक्की का अनुमान 8-8.5 फीसदी रखा गया है.
- रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल खेती ने मजबूत प्रदर्शन किया. इसके अलावा औद्योगिक गतिविधियों में भी तेजी आई है. एग्रिकल्चर सेक्टर के ग्रोथ का अनुमान 3.9 फीसदी और इंडस्ट्रियल सेक्टर में 11.8 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया गया है. चालू वित्त वर्ष के लिए सर्विस सेक्टर के ग्रोथ का अनुमान 8.2 फीसदी रखा गया है. इंडस्ट्रियल सेक्टर में 2020-21 में निगेटिव (-7%) ग्रोथ रहा था. सर्विस सेक्टर में पिछले साल यानी 2020-21 में 8.6 परसेंट की गिरावट आई थी.
- रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है. इस समय RBI के खजाने में 635 बिलियन डॉलर का रिजर्व है. यह रिजर्व 13 महीने के आयात और भारत सरकार के विदेशी कर्ज से कहीं ज्यादा है. इसके अलावा निर्यात में भी तेजी आ रही है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के बीच देश का निर्यात करीब 50 फीसदी की तेजी के साथ 302 बिलियन डॉलर रहा. इसके अलावा FDI में भी तेजी है. ऐसे में लिक्विडिटी टैपरिंग (बॉन्ड की खरीदारी को कम करना और सिस्टम में लिक्विडिटी सप्लाई को घटाना) से सेंटिमेंट पर बहुत ज्यादा नकारात्मक असर नहीं होगा.
- सर्वे में कहा गया है कि सरकार की कमाई में बहुत तेजी से सुधार हुआ है. इससे सरकार राजकोषीय उपायों की घोषणा कर पाने की स्थिति में है. बता दें कि जीएसटी कलेक्शन शानदार रहा है. इसके अलावा टैक्स कलेक्शन में भी तेजी आई है. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 की तीसरी किस्त के लिये एडवांस टैक्स कलेक्शन 53.5 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 60 प्रतिशत से अधिक की गति से बढ़ा है.
- आर्थिक सर्वे में शेयर बाजार में बढ़ते निवेश पर संतोष जताया गया है. आपदा के बावजूद नवंबर, 2021 तक IPO के जरिए 89 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा जुटाया गया. चालू साल में पिछले साल के मुकाबले IPO के जरिए ज्यादा रकम जुटाया गया.
चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत स्थिति में भारत
सर्वे में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि क्षेत्र की ग्रोथ 3.9 फीसदी रहेगी। इस वित्त वर्ष में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 11.8 फीसदी रहेगी। वहीं, सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ 8.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर की बढ़ोतरी दर 10.7% रहने की उम्मीद है। 2021-22 को दौरान ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF) 15% के साथ कोविड के पहले के स्तर पर पहुंच सकती है।
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सर्वे में कहा गया है कि ऑयल प्राइसेज 70-75 डॉलर प्रति बैरल की रेंज में होंगे और समय के साथ ग्लोबल सप्लाई चेन बेहतर होगी। इकनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि मैक्रो इकनॉमिक इंडीकेटर्स से संकेत मिलता है कि भारत फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत स्थिति में है।
Economic Survey 2023: कंट्रोल में रहेगी महंगाई दर
इस सर्वे में महंगाई दर सीमा में रहने की उम्मीद जताई गई है। सर्वे में कहा गया है कि बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन, सप्लाई में सुधार, रेगुलेशंस में नरमी, एक्सपोर्ट में शानदार ग्रोथ और खर्च बढ़ाने के लिए फिस्कल स्पेस के चलते अर्थव्यवस्था को सहारा मिल रहा है।
क्या है वित्त वर्ष 2021-22 का रियल GDP ग्रोथ अनुमान
वित्त वर्ष 2021-22 में देश की रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 9.2 फीसदी पर रखा है. ये आरबीआई के 9.5 फीसदी के अनुमान से कुछ कम है. इसके अलावा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश की अर्थव्यवस्था के 8-8.5 फीसदी की दर से जीडीपी ग्रोथ हासिल करने का अनुमान है.
चुनौतियों का सामना करने को तैयार
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2023-23 की चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी स्थिति में है. मैक्रो इकोनॉमी स्टेबलिटी इंडिकेटर्स बताते हैं कि अगले साल की चुनौतियों का सामना करने में भारत पूरी तरह सक्षम है. और भारतीय अर्थव्यवस्था के अच्छी स्थिति में होने का एक प्रमुख कारण तैयार की गई बेहतर रणनीति है. तीसरी लहर के बावजूद भारत में की खपत में अच्छी बढ़ोतरी जारी है. 2021-22 में 7.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें महत्वपूर्ण हिस्सा सरकारी खर्च से आ रही है.
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किंग प्रणाली अच्छी तरह से पूंजीकृत- आर्थिक सर्वेक्षण
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यदि आवश्यक हो तो सरकार के पास अतिरिक्त सहायता के लिए स्थान है. इसके अलावा अगले वित्त वर्ष में विकास के मुख्य बिंदुओं के रूप में वैक्सीन कवरेज, कैपेक्स और निर्यात पर ध्यान दिया गया है.
GDP को लेकर अन्य कुछ अनुमान
- आईएमएफ ने वित्त वर्ष 22 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के अनुमान को घटाकर 9% कर दिया
- विश्व बैंक ने 2021-22 के लिए भारत की विकास दर 8.3% पर बरकरार रखी है
- भारतीय रिजर्व बैंक 9.5 प्रतिशत की थोड़ी कम दर पर विकास का अनुमान लगाता है
आईटी-बीपीओ सेक्टर 2.26% की दर से बढ़ा
सर्वे के मुताबिक ई-कॉमर्स को छोड़ आईटी-बीपीओ सेक्टर वित्त वर्ष 2020-21 में सालाना आधार पर 2.26% की दर से बढ़कर 19.4 हजार करोड़ डॉलर का हो गया। चालू वित्त वर्ष में कृषि सेक्टर 3.9% की दर से बढ़ सकता है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.6% की दर से बढ़ा था।
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Economic Survey 2023: GDP से पता चलती है इकोनॉमी की हेल्थ
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। जब इकोनॉमी हेल्दी होती है, तो आमतौर पर बेरोजगारी का लेवल कम होता है।
क्या भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है?
GDP आंकड़ों को देखकर लगता है कि इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन जब हम सभी आंकड़ों को कंपेयर करते हैं तो तस्वीर कुछ और नजर आती है। दरअसल, मार्च 2020 में कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां थम गई थीं। बाद में लॉकडाउन खुला, लेकिन फिर भी ये पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई। इसका असर यह हुआ कि GDP बेस नीचे चला गया और इसे -7.3% नापा गया। जब बेस बहुत नीचे चला जाता है तो थोड़ी उछाल भी बड़े सुधार का भ्रम पैदा करती है।
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