Gaganyaan Mission | आज इसरो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट की लॉन्चिंग के जरिए पहले क्रू मॉड्यूल टेस्टिंग के साथ ही अपने महत्वाकांक्षी ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम गगनयान की यात्रा को रफ्तार देगा.
क्या है गगनयान मिशन | What is Gaganyaan Mission in Hindi
गगनयान मिशन भारत का पहला ह्यूमन स्पेस मिशन है जो तीन दिन का होगा. इसमें 3 सदस्यों के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा. अगर ये मिशन सफल होता है तो अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है.
Gaganyaan Mission | करीब 9 मिनट में होगी 17 किमी से वापसी
गगनयान मिशन की पहली टेस्ट उड़ान में इसरो क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस तक भेजेगा, इसके बाद इसे वापस जमीन पर लौटाया जाएगा. उड़ान के दौरान नेविगेशन, सिक्वेंसिंग, टेलिमेट्री, ऊर्जा आदि की जांच की जाएगी. आसान शब्दों में समझें तो मिशन के दौरान रॉकेट में गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग की जाएगी.

गगनयान मिशन की सफलता से क्या हासिल करना चाहते है वैज्ञानिक?
भारत का गगनयान मिशन अगर सफल होता है तो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में अध्ययन करने और अंतरिक्ष के वातावरण को समझने का मौका मिलेगा. ये मिशन देश को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में देश को तकनीकी विकास में बेहतर दिशा दे सकता है. इसके अलावा मिशन की सफलता के बाद अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
दुनिया का चौथा देश बनेगा भारत
गगनयान परियोजना को 90 बिलियन रुपये ($ 1 बिलियन; £ 897 मिलियन) की लागत से विकसित किया गया है। इसका लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किमी (248 मील) की कक्षा में भेजना और तीन दिन बाद वापस लाना है। अगर यह सफल हुआ तो रूस (तत्कालीन सोवियत संघ), अमेरिका और चीन के बाद भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा।
Gaganyaan Mission का कहां देखें लाइव?
इसरो ने कहा है कि 21 अक्टूबर को सुबह आठ बजे टीवी-डी1- परीक्षण उड़ान को प्रक्षेपित करने के लिए उल्टी गिनती शुक्रवार शाम सात बजे शुरू हो गई है. इसरो ने बताया कि इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए आधार तैयार करेगी, जिससे पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा.
कब खुलेगा पैराशूट?
क्रू-मॉड्यूल जब सीईएस से अलग होगा, तब 16.6 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसके छोटे पैराशूट खुल जाएंगे। जब कैप्सूल 2.5 किलोमीटर से कम ऊंचाई पर होगा, तब इसके मुख्य पैराशूट खुलेंगे। श्रीहरिकोटा से 10 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में क्रू-मॉड्यूल की लैंडिंग होगी। वहां से उसे नौसेना रिकवर करेगी। वहीं सीईएस 14 किलोमीटर और टीवी बूस्टर छह किलोमीटर दूर समुद्र में गिरेंगे और डूब जाएंगे।

अगले साल (2024) रोबोट भेजने की तैयारी
टीवी-डी1 के सफल परीक्षण के बाद इसरो तीन और टेस्ट फ्लाइट डी2, डी3 और डी4 भेजेगा। अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान यानी ह्यूमेनॉयड रोबोट (व्योममित्र) को भेजेगा। जब ये सफल हो जाएगा, तब 2025 में भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान होने की संभावना है।
Gaganyaan Mission | भारत के लिए क्यों खास है मिशन गगनयान?
गगनयान मिशन 2022 में ही लॉन्च होना था लेकिन कोरोना महामारी और मिशन की जटिलताओं की वजह से इसमें देरी हो गई. इसरो का गगनयान मिशन अगर सफल रहता है तो अमेरिका, चीन और पूर्ववर्ती सोवियतसंघ के बाद भारत मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानें संचालित करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
क्या है गगनयान मिशन का लक्ष्य?
मिशन गगनयान का मकसद मानव रहित अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजकर उसे सुरक्षित वापस लाना है और अंतरिक्ष में मानव उड़ान के लिए जरूरी प्रोद्योगिकियों का विकास करना है. इसका मकसद अंतरिक्ष में मानव उड़ान के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को दुनिया को दिखाना है.
चुनिन्दा देशों में बनाएगा भारत अपनी जगह
गगनयान इसरो के तीन अंतरिक्ष मिशन का एक ग्रुप है. इसमें दो अभियान मानव रहित हैं जबकि तीसरे में मानव को भी अंतरिक्ष में भेजा जाता है. बताया जा रहा है कि इस मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्री भेजे जाएंगे, जिसमें से दो पुरुष और एक महिला होंगी. इसरो की योजना पृथ्वी की सबसे करीबी कक्षा (लोअर ऑर्बिट) में मानव यान भेजने की है. अगर गगनयान मिशन सफल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन जैसे चुनिन्दा देशों की फेहरिस्त में भारत भी शामिल हो जाएगा.
क्रू मॉड्यूल क्या है?
एस्ट्रोनॉट्स के लिए कई तरह की सुविधाओं से लैस क्रू मॉड्यूल केबिन जैसा है. जिसमें एस्ट्रोनॉट्स के लिए कई इसमें स्वास्थ्य सिस्टम, नेविगेशन सिस्टम, फूड हीटर और टॉयलेट आदि सुविधाएं होंगी. इसके अंदर का हिस्सा अंतरिक्ष के रेडिएशन से एस्ट्रोनॉट्स को बचाएगा साथ ही टेम्पेरेचर फ्रेंडली भी है.
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इसके साथ-साथ इस परीक्षण के दौरान क्रू मॉड्यूल को जल्दी से अंतरिक्ष यान से अलग किया जाता है और फिर पैराशूट और मंदी तंत्र का उपयोग करके सुरक्षित रूप से धरती पर लाया जाता है. मतलब साफ है कि यह परीक्षण यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि अंतरिक्ष यात्री किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित रहें.
गगनयान मिशन का उद्देश्य क्या है? | Aim of Gaganyaan Mission
किसी भी मिशन की लाॅन्चिग को लेकर अंतरिक्ष में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना होता है। गगनयान मिशन के कुछ उद्देश्य इस प्रकार हैंः
- यह पहला स्वदेशी मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा।
- यह लंबे समय में एक सतत इंडियन ह्यूमन स्पेश कोचिंग इंस्टिट्यूट की नींव रखेगा।
- गगनयान मिशन का उद्देश्य LEO को मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने के लिए स्वदेशी क्षमता को दिखाना है।
- सौर प्रणाली और उससे आगे का पता लगाने के लिए रोबोट मिशन की दिशा में प्रगति।
- ह्यूमन स्पेश एक्सप्लोरेशन, अन्य मिशन और साइंटिस्ट एक्सप्लोरेशन करने के लिए टेक्नोलाॅजी का प्रदर्शन।
- वैश्विक अंतरिक्ष स्टेशन के विकास में सक्रिय रूप से सहयोग करने और राष्ट्र के हित के वैज्ञानिक प्रयोग करने की भविष्य की क्षमता।
गगनयान मिशन की लागत कितनी है?
इसरो के किसी भी मिशन के पूरा होने में काफी खर्च आता है। गगनयान मिशन की लागत INR 9,023 या लगभग 10,000 करोड़ है। गगनयान मिशन एक प्रमुख राष्ट्रीय प्रयास होने जा रहा है।
गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) कितने चरणों में पूरा किया जाएगा?
रिसर्च और डेवलपमेंट में आने वाली चुनौती और टेक्नोलाॅजी का प्रदर्शन करने के लिए तैयार इसरो का गगनयान मिशन को पूरा होने में 3 चरण शामिल हैं। इसके तहते 3 उड़ानें कक्षा (Orbit) में भेजी जाएंगी।
- इस मिशन का पहला चरण मानवरहित होगा
- दूसरे चरण में रोबोट को मिशन पर भेजा जाएगा।
- पहला और दूसरा कंप्लीट होने और पाॅजिटिव रिस्पांस आने के बाद तीसरे चरण में 3 अंतरिक्ष यात्रियों को भी भेजा जाएगा।
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गगनयान मिशन के बारे में कुछ रोचक तथ्य
इतिहास में यह पहली बार होगा जब भारत अपने मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजेगा और इसके साथ ही इंडिया उन 4 देशों में स्थान हासिल करेगा जिन्होंने अपने यहां से इंसान को अंतरिक्ष में भेजा हो। गगनयान मिशन के बारे में रोचक तथ्य यहां बताए गए हैंः
- गगनयान मिशन में महिला रोबोट को भेजा जाएगा।
- अभी तक अन्य एजेंसियों ने टेस्टिंग के लिए जानवरों का इस्तेमाल किया है, मगर इसरो ने रोबोट बनाया है।
- रोबोट हिंदी और इंग्लिश दोनों लैंग्वेज बोल सकता है।
- गगनयान मिशन के अंतर्गत 3 सदस्यों के एक दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में 3 दिनों के मिशन के लिए लॉन्च किया जाना है।
- बूस्टर इंजन जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल MkIII (GSLV Mk III) रॉकेट का हिस्सा है।
- इस मिशन की लाॅन्चिग के बाद भारत एलीट क्लब ऑफ नेशंस (अमेरिका, चीन और रूस) में शामिल हो जाएगा।
- इस मिशन के प्रक्षेपण में स्वदेशी हेल्थ रिसर्च मॉड्यूल सहित कई अनुसंधान मॉड्यूल के साथ 500 से अधिक उद्योग शामिल हैं।
- यह मिशन सोशल और टेक्नोलाॅजी डेवलपमेंट में मदद करेगा।
- इस मिशन में एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT), पैड अबॉर्ट टेस्ट (PAT) और टेस्ट व्हीकल (TV) शामिल हैं और इन टेस्ट के रिजल्ट से पता लगेगा कि यह मिशन अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए सक्षम है या नहीं।
- 2006 में गगनयान की शुरुआती स्टडी और टेक्नोलाॅजी डेवलपमेंट का काम ऑर्बिटल व्हीकल के तहत शुरू हुआ था।
- गगनयान का ऑर्बिटल मॉड्यूल (OM) पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और इसमें क्रू मॉड्यूल (CM) और सर्विस मॉड्यूल (SM) भी शामिल किए गए हैं।
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