Happy Makar Sankranti 2024 [Hindi]: जानिए क्या है मकर संक्रांति का महत्व Essay, Quotes सहित Hindi में

Happy Makar Sankranti 2022 [Hindi]: Date, Essay, Story, Quotes
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Last Updated on 1 January 2024, 7:34 PM IST: Happy Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को बहुत ही खास माना गया है. मान्यता है कि इस दिन चावल, दाल और खिचड़ी का दान करने से पुण्य मिलता है. जानिए क्या है मकर संक्रांति का महत्व Essay, Quotes सहित Hindi में.

मकर संक्रांति का महत्व (Importance of Makar Sankranti)

इस दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी खाने का प्रचलन है. मान्यता है कि इस दिन चावल, दाल और खिचड़ी का दान करने से पुण्य मिलता है. कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना होती है.  Happy Makar Sankranti 2019 festival 14 January को मनाया जाएगा, इस दिन सूर्य मकर रेखा पर आता है, इसीलिए Makar Sankranti मनाई जाती है:

मकर संक्रांति यानी सूर्य का दिशा बदलाव है

सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो ज्‍योतिष में इस घटना को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश होता है।

Happy Makar Sankranti 2024 Date

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्यौहार (Festival) हर वर्ष पारम्परिक रूप से 14 जनवरी को मनाया जाता है। वैसे इस वर्ष मकर संक्रांति की तिथि (Makar Sankranti Date) को लेकर उलझन कुछ ज्यादा ही है। कोई बता रहा है कि इस बार मकर संक्रांति 15 को है ओर कोई 14 तारिक को, इन अटकलों को दूर करते हुए कई हिन्दू कैलेंडर और पंचांग मकर संक्रांति की तिथि 14 जनवरी (Makar Sankranti 2024) की रात्रि भारतीय समय अनुसार 7 बजे के बाद ही बता रहे है । लेकिन कुछ ज्योतिष पंडितों का यह मानना है कि अगर मकर सक्रांति 14 की रात्रि को है.

मकर संक्रांति (Makar Sankranti in English) के इस खास त्यौहार का नाता हमारे ग्रह यानी पृथ्वी के भूगोल और सूर्य की स्थितियों से जुड़ा होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर रेखा पर आता है। इसीलिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti) मनाई जाती है । मकर संक्रांति के ही दिन इस त्यौहार को अलग-अलग नाम और परंपराओं के हिसाब से भी मनाया जाता हैं।

मकर संक्रांति की कथा व कहानी (Makar Sankranti Story Hindi)

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान् सूर्य अपने पुत्र भगवान् शनि के पास जाते है, उस समय भगवान् शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते है. पिता और पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्रांति को महत्व दिया गया. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं और सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है. इसके अलावा इस विशेष दिन की एक कथा और है, जो भीष्म पितामह के जीवन से जुडी हुई है, जिन्हें यह वरदान मिला था, कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी. जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आँखें बंद की और इस तरह उन्हें इस विशेष दिन पर मोक्ष की प्राप्ति हुई.

मकर संक्रांति को मनाने का तरीका (Makar Sankranti celebration)

मकरसंक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान, दान, व पूण्य का विशेष महत्व है. इस दिन लोग गुड़ व तिल लगाकर किसी पावन नदी में स्नान करते है. इसके बाद भगवान् सूर्य को जल अर्पित करने के बाद उनकी पूजा की जाती हैं और उनसे अपने अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना की जाती है. इसके पश्चात् गुड़, तिल, कम्बल, फल आदि का दान किया जाता है. इस दिन कई जगह पर पतंग भी उड़ाई जाती है. साथ ही इस दिन तीली से बने व्यंजन का सेवन किया जाता है. इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर भी भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं, और खिचड़ी का दान तो विशेष रूप से किया जाता है. जिस कारण यह पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इस दिन को अलग अलग शहरों में अपने अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है. इस दिन किसानों के द्वारा फसल भी काटी जाती हैं.

वसंत ऋतु और मकर संक्रांति

मकर संक्रांति के दिन से ही भारत मे वसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है। मकर संक्रांति के बाद से ही कड़ाके की सर्दी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और सूर्य देव अपनी तेज धूप दिखाने लगते है । यह सिर्फ और सिर्फ सूर्य के उत्तरायण होने की वजह से होता है। इसी के साथ दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है । जिससे मौसम खुशगवार होने लगता है ।

Video Credit: Rasoi Palace

वसंत ऋतु आने के बाद से देश के अधिकतर हिस्सों में फसलें पकने लगती हैं। क्योंकि यह अन्नदाता के लिए आर्थिक दृष्टि से आशानुकूल समय होता है। जिसमे वह अपनी फसलों को अच्छी तरह पकने ओर कटाई का इंतजार करता है।

Happy Makar Sankranti 2024 विभिन्न राज्यों में

मकर संक्रांति का त्यौहार संस्कृति ओर परम्पराओं के अनुसार भारत में इसे अलग-अलग नामों ओर सभी राज्य अपनी-अपनी सांस्कृतिक के अनुसार भी मनाते है । देश के ज्यादातर हिस्सों में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।

  • नाम, परंपराएं अलग होने के कारण यह त्यौहार जैसे, भारत के दक्षिणी राज्यों केरल, (Kerala) आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) और कर्नाटक (Karnataka) में मकर संक्रांति को सिर्फ संक्रांति के नाम से जाना जाता है । वही तमिलनाडु (Tamil Nadu) राज्य में मकर संक्रांति को पोंगल (Pongal) के नाम से जाना जाता है ।
  • असम (Assam) में मकर संक्रांति को बिहू (Bihu) के नाम से जाना जाता है और इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम से मनाया भी जाता है । देश के उत्तर भारतीय राज्यो में जैसे पंजाब, (Punjab) हरियाणा (Haryana), दिल्ली (Delhi) ओर इससे लगते राज्यो में मकर संक्रांति को लोहड़ी (Lohri) के नाम से जाना जाता है । मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव का महत्व भी माना जाता है । मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का महत्व है जिससे सूर्य नारायण प्रसन्न होते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करते हैं। तिल के उबटन से स्नान के बाद सूर्य देवता को जल चढ़ाया जाता है और सूर्य नारायण देव की आराधना की जाती है।

मान्यतानुसार मकर संक्रांति पर दान देना मोक्ष प्राप्ति करवाता है, जानिए सत्य!

कबीर, मनोकामना बिहाय के हर्ष सहित करे दान।
ताका तन मन निर्मल होय, होय पाप की हान।।

कबीर, यज्ञ दान बिन गुरू के, निश दिन माला फेर।
निष्फल वह करनी सकल, सतगुरू भाखै टेर।।

प्रथम गुरू से पूछिए, कीजै काज बहोर।
सो सुखदायक होत है, मिटै जीव का खोर।।

कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि बिना किसी मनोकामना के जो दान किया जाता है, वह दान दोनों फल देता है। वर्तमान जीवन में कार्य की सिद्धि भी होगी तथा भविष्य के लिए पुण्य जमा होगा और जो मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। वह कार्य सिद्धि के पश्चात् समाप्त हो जाता है। बिना मनोकामना पूर्ति के लिए किया गया दान आत्मा को निर्मल करता है, पाप नाश करता है।
पहले गुरू धारण करो, फिर गुरूदेव जी के निर्देश अनुसार दान करना चाहिए। बिना गुरू के कितना ही दान करो और कितना ही नाम-स्मरण की माला फेरो, सब व्यर्थ प्रयत्न है।

परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि:

गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण।।


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