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Happy New Year 2019: Fresh News India.

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आज हमे अपनी हिन्दू संस्कृति का ज्ञान न होने के कारण 31 दिसंबर (31st December) की रात्रि को हम एक-दूसरे को हैपी न्यू इयर (Happy New Year) कहते हुए नववर्ष (New Year) की शुभकामनाएं (Wishes) देते हैं ।

लेकिन वास्तविकता तो यह है कि शुरुआत से ही हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार चैत्र-प्रतिपदा ही हिंदुओं का नववर्ष (New Year) का दिन होता है । लेकिन आज भी हम भारतीय रोमन केलिन्डर के अनुसार एक जनवरी को नव वर्ष (Happy New Year 2019) मनाते है । मतलब हम आज भी कहीं न कही अंग्रेजों के मानसिक गुलाम है । जो उन्ही के देखा-देखी 31 दिसंबर की रात्रि को ही नववर्ष मनाने लगे और इसी के साथ भारतीय वर्षारंभ दिन चैत्र प्रतिपदा पर नववर्ष पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देनेवाले हिंदुओं के दर्शन दुर्लभ होते गए ।

 

अंग्रेजो के नव वर्ष की शुरुआत.

Story : आज से लगभग 4000 वर्ष पूर्व नववर्ष की शुरुआत बेबीलोन में हुई । यही सबसे पहले नववर्ष (New Year) मनाया जाता था। लेकिन बेबीलोन में भी उस समय नववर्ष 21 मार्च को ही मनाया जाता था । यही हिंदुओ का नववर्ष भी माना जाता था जो कि वसन्त का आगमन होता है । प्राचीनकाल के रोमन साम्राज्य में भी 21 मार्च ही नववर्ष की तिथि चुनी गई थी । और बेबीलोन निवासी भी इसी दिन नववर्ष मनाया करते थे । लेकिन समय के साथ-साथ रोम के तानाशाह जूलियस सीजर को भारतीय नववर्ष मनाना पसन्द नही आया था ।

इसलिए जुलिअस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना करि थी और । उसी समय से विश्वभर 1 जनवरी (1st January) को पहली बार नववर्ष (Happy New Year) की शुरुआत हुई थी । ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 ईस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था । जब जाकर कहि 1 जनवरी को नववर्ष की तारीख उसने निर्धारित करि थी ।

इन सब बदलावों के साथ ही हम सब भारतीय भी नववर्ष को अपनी तिथि के अनुसार मनाकर पश्चिमी सभ्यता के अनुसार 1 जनवरी (1st January) को मनाने लगे ।पश्चिमी सभ्यता से हमारे देश की संस्कृति बढ़िया है । लेकिन हम अपनी संस्कृति को दिन-प्रतिदिन भूल रहे है और पश्चिमी सभ्यता में तल्लीन रहने पर आमादा हो चुके है ।

पश्चिमी सभयता के अनुसार 1 जनवरी को नववर्ष मनाना हो, या फिर वहां का पहनावा,खाना, वस्तुएं इत्यादि हो । हमने पश्चिमी सभ्यता से लिया बहुत कुछ है । जिसका हमे आज अपने जीवन के दैनिक कार्यो में उपयोग भी करते है । लेकिन इनकी सभ्यता ने जितना हमारी आवश्यकताओं को पूरा किया,उससे कहि ज्यादा हानि भी पहुचाई है । जिससे हमारी वर्तमान की युवा पीढ़ी पर गलत असर पड़ रहा है ।

चाहे वह नशे को लेकर हो या अन्य वस्तुयों के दुरुपयोग का हो,आज हमारी युवा पीढ़ी गलत दिशा की ओर जा रही है। कुछ ही दिनों में जगह जगह नए वर्ष की शुरुआत करने के लिए पार्टियां शुरू होंगी,जो नशे से सराबोर रहेंगी ।

31 दिसंबर की रात को हमारे युवाओं के बीच शराब पानी की तरह बहेगी। देश के अधिक से ज्यादा हमारे युवा अपने हाथों शराब के नशे में चूर होकर अपने आपको बर्बाद करेगा। लेकिन यह भी समझना बेहद ही गलत है कि शराब पीने का दुष्परिणाम केवल शराबी ही भुगतता है । तो यह आपकी भूल है । बल्कि शराब पीने वाले के दुष्प्रभाव को उसका पूरा परिवार उसके साथ-साथ भुगतता है । ओर हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करने वाली लत की शुरुआत भी इन्हीं नए साल की पार्टियों से होती है। इसलिए अपने आने वाले नववर्ष की शुरू नशे से ना करके अच्छे नेक कार्य करके प्रारंभ करें । जिससे आपका परिवार भी सुखमय जीवन जीने को महसूस कर सके ।

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शराब,पार्टी जैसी अनेक पश्चिमी कुरीतियों को न अपनाकर हमे अपनी धार्मिकता ओर संस्कृति पर भी ध्यान देना चाहिए । तभी हमारी युवा पीढी आगे चलकर आने वाली पीढ़ियों को भी सही राह दिखा पाएगी ।


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