ISRO Satellite Internet [Hindi] | इसरो ने एक साथ 36 वनवेब सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेज रचा इतिहास

ISRO Satellite Internet [Hindi] इसरो ने एक साथ लांच किए 36 सैटेलाइट्स
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ISRO Satellite Internet [Hindi]: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज (रविवार को) वनवेब द्वारा विकसित 36 ब्रॉडबैंड सैटेलाइट्स का एक समूह लो अर्थ ऑर्बिट में लॉन्च किया. सैटेलाइट्स को लॉन्च व्हीकल मार्क- III से लॉन्च किया गया, जो कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल (GSLV Mk-III) का एक नया संस्करण है.

इसरो ने एक साथ 36 उपग्रहों को किया लॉन्च

बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार और रविवार की मध्यरात्रि 12:07 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने सबसे भारी रॉकेट में 36 संचार उपग्रहों को लॉन्च किया.

ISRO Satellite Internet [Hindi]: अगले साल 36 उपग्रह फिर होंगे लॉन्च

इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा कि इसरो का रॉकेट LVM-3 एक निजी संचार फर्म वनवेब के 36 उपग्रहों को ले गया. अगले साल की पहली छमाही में LVM-3 द्वारा 36 वनवेब सैटेलाइट्स का एक और सेट लॉन्च किया जाएगा. 36 में से 16 उपग्रहों को सफलतापूर्वक अलग कर लिया गया है और शेष 20 उपग्रहों को अलग कर दिया जाएगा.

  • यह GSLV Mk III की पहली कमर्शियल उड़ान होगी और कुल मिलाकर दूसरी उड़ान होगी. इससे पहले इसने 22 जुलाई, 2019 को भारत के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -2 अंतरिक्ष यान को अपनी नियोजित कक्षा में पहुँचाया. प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से हुआ.
  • GSLV-Mk3 को एक लिक्विड कोर स्टेज, दो सॉलिड मोटर स्ट्रैप-ऑन और एक हाई-लिफ्टर क्रायोजेनिक अपर स्टेज लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी कुल लंबाई 43.5 मीटर है, और इसका वजन लगभग 660 टन है. GSLV-Mk-3 को 4,000 किलोग्राम वर्ग के सैटेलाइट्स को एक विश्वसनीय और लागत प्रभावी लॉन्च क्षमता प्रदान करने के लिए विकसित किया गया था. यह 4t श्रेणी के सैटेलाइट्स को GTO और लगभग 10t से LEO तक उठाने में सक्षम है.

क्रायोजेनिक स्टेज है

बता दें कि इस मिशन के तहत वनवेब के 36 उपग्रहों (Satellites Launch) को ले जाया गया है, जो 5,796 किलोग्राम तक के ‘पेलोड’ के साथ जाने वाला पहला भारतीय रॉकेट बन गया है. यह तीन स्टेज का रॉकेट है, जिसमें दो सॉलिड मोटर स्टेप्स ऑन और एक लिक्विड प्रोपोलेंट कर स्टेज है और बीच में क्रायोजेनिक स्टेज है.

ISRO Satellite Internet [Hindi]: 648 सैटेलाइट भेजने का लक्ष्य (Aim)

ब्रिटेन के संचार नेटवर्क ‘वन वेब’ का लक्ष्य कुल 648 सैटेलाइट लो अर्थ ऑर्बिट में भेजने का है। इनमें से 36 को ISRO ने भेजा है। वन वेब की बात करें तो यह ग्लोबल कम्युनिकेशन कंपनी है। इसका मुख्यालय लंदन में है। लो अर्थ ऑर्बिट पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा होती है। इसकी ऊंचाई पृथ्वी के चारों ओर 1600 किमी से 2000 किमी के बीच है। इस ऑर्बिट में किसी ऑब्जेक्ट की गति 27 हजार किमी प्रति घंटा होती है। यही वजह है कि ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में मौजूद सैटेलाइट तेजी से मूव करता है और इसे टारगेट करना आसान नहीं होता है।

108 उपग्रहों की लॉन्चिंग का समझौता

जान लें कि ब्रिटेन के साथ 108 उपग्रहों के समझौते के तहत पहले चरण में 36 उपग्रहों के साथ जीएसएलवी मार्क-3 का प्रक्षेपण किया गया. 36 उपग्रह विशुद्ध रूप से संचार के लिए हैं. इस साल पीएसएलवी और एसएलवी रॉकेट का परीक्षण किया जाएगा.

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ISRO Satellite Internet [Hindi]: गौरतलब है कि अंतरिक्ष विभाग के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने पहले भारती समर्थित वनवेब, लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रह संचार कंपनी के साथ दो लॉन्च सेवा कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे.

5,796 किलोग्राम के पेलोड के साथ पहला भारतीय रॉकेट बनेगा

इस रविवार को होने वाल यह लॉन्च इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि LVM3-M2 मिशन इसरो के कमर्शियल आर्म, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के लिए पहला डेडीकेटेड कमर्शियल मिशन है। इसरो की मानें तो यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और यूनाइटेड किंगडम स्थित नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड (वनवेब लिमिटेड) के बीच कमर्शियल अरेंजमेंट के तौर पर किया जा रहा है।

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स्पेस एजेंसी के मुताबिक, यह मिशन वनवेब के 36 सैटेलाइट के साथ सबसे भारी पेलोड ले जाएगा, जो 5,796 किलोग्राम के पेलोड के साथ पहला भारतीय रॉकेट बन जाएगा। यह LVM-3-M2 के लिए भी पहला लॉन्च है जिसमें सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) के बजाय लोअर अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी से 1,200 किलोमीटर ऊपर) तक पहुंचाना है।

LVM 3-M2 के रूप में लॉन्च व्हीकल को मिला नया नाम

इसरो के वैज्ञानिकों ने GSLV-MK III नामक इस लॉन्च व्हीकल को LVM 3-M2 के रूप में नया नाम दिया है क्योंकि यह नया रॉकेट 4,000 किलोग्राम वर्ग के सैटेलाइट को GTO में और 8,000 किलोग्राम पेलोड को LEO में लॉन्च करने में सक्षम है।

GSLV-Mk III ने इससे पहले चंद्रयान -2 सहित चार सफल मिशन किए थे। LVM3-M2 मिशन नए लॉन्च व्हीकल के साथ स्पेस एजेंसी को अपने विश्वसनीय वर्कहॉर्स पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के साथ सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए बढ़ावा देगा। LVM3-M2 तीन स्टेज वाला लॉन्च व्हीकल है, जिसके किनारों पर दो सॉलिड प्रोपेलेंट S200 स्ट्रैप-ऑन और इसके साइड व कोर स्टेज पर L110 लिक्विड स्टेज और C25 क्रायोजेनिक स्टेज से युक्त है।

अब तक 345 विदेशी सैटेलाइट हो चुके हैं लॉन्च

बता दें कि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) अबतक 345 विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। इन सभी सैटलाइट को पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल यानी PSLV से अंतरिक्ष में भेजा गया। इस रॉकेट की विश्वसनीयता और किफायती होने की वजह से दुनियाभर में अपनी एक अलग ही साख है। यहां तक कि इसरो के ज्यादातर मिशन में पीएसएलवी का ही इस्तेमाल होता है। 

चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के लिए लगभग तैयार

इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने आगे कहा कि चंद्रयान-3 लगभग तैयार है। अंतिम एकीकरण और परीक्षण लगभग पूरा हो गया है। फिर भी, कुछ और परीक्षण लंबित हैं, इसलिए हम इसे थोड़ी देर बाद लॉन्च करना चाहते हैं। इसके लिए दो स्लॉट उपलब्ध हैं एक फरवरी में और दूसरा जून में, लेकिन हम लॉन्च के लिए जून, 2023 का स्लॉट लेना चाहेंगे।

ISRO Satellite Internet [Hindi]: पहला व्यावसायिक उपग्रह प्रक्षेपण

रॉकेट LVM3 का यह पहला व्यावसायिक उपग्रह प्रक्षेपण है। अंतरिक्ष विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने पूर्व में इसरो के एलवीएम3 बोर्ड पर वनवेब लियो उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए लंदन-मुख्यालय वाली नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के साथ दो लॉन्च सेवा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का सबसे नया और सबसे भारी रॉकेट चार टन वर्ग के उपग्रह को ले जा सकता है, जो एक बड़े फ्लैटबेड ट्रक के वजन के बराबर है। इस रॉकेट की क्षमता 8,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने की है। इसरो के अनुसार, मिशन में वनवेब के 5,796 किलोग्राम वजन के 36 उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में जाने वाला यह पहला भारतीय रॉकेट बन गया है।

क्यों भेजा गया है बाहुबली रॉकेट?

यह तीन स्टेज का रॉकेट है, जिसमें दो सॉलिड मोटर स्टेप्स ऑन और एक लिक्विड प्रोपोलेंट कर स्टेज है और बीच में क्रायोजेनिक स्टेज है. इसके इसी भारी भरकम रूप के कारण इसे इसरो का बाहुबली भी कहा जाता है. इसरो के लिए यह लॉन्च इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एलवीएम3-एम2 मिशन इसरो की वाणिज्यिक शाखा-न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के लिए पहला समर्पित वाणिज्यिक मिशन है. 

ISRO Satellite Internet [Hindi]: इस तरह का पहला भारतीय रॉकेट

ISRO Satellite Internet [Hindi]: मिशन को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और ब्रिटेन स्थित नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड (वनवेब लिमिटेड) के बीच वाणिज्यिक व्यवस्था के हिस्से के रूप में चलाया जा रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, इस मिशन के तहत वनवेब के 36 उपग्रहों (Satellites Launch) को ले जाया गया है, जो 5,796 किलोग्राम तक के ‘पेलोड’ के साथ जाने वाला पहला भारतीय रॉकेट बन गया है. भारत की भारती एंटरप्राइजेज वनवेब में एक प्रमुख निवेशक है. 

अबतक का सबसे पावरफुल उपग्रह

इसरो के प्रमुख के सिवन ने सफल प्रक्षेपण के बाद कहा कि भारत द्वारा निर्मित अब तक के सबसे भारी, सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली उपग्रह का एरियन-5 के जरिए आज सफल प्रक्षेपण हुआ. जीसैट-11 भारत की बेहरीन अंतरिक्ष संपत्ति है. इसरो द्वारा बनाए गए इस उपग्रह का वजन करीब 5854 किलोग्राम है. यह अत्याधुनिक और अगली पीढ़ी का संचार उपग्रह है जिसे इसरो के आई-6के बस के साथ कंफिगर किया गया है. इसका जीवन काल 15 साल या उससे ज्यादा होने का अनुमान है.


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