Lala Lajpat Rai: Anniversary, Essay, Life History & Death

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भारत के स्वतंत्रता सेनानी और पंजाब केसरी के नाम से जाने वाले लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) की आज पुण्यतिथि (Anniversary) है। Esaay Blog via Fresh News India.

लाला लाजपत राय का जीवन परिचय (Biography of Lala Lajpat Rai)

लाला लाजपत राय का जन्म जैन धर्म मे 28 जनवरी 1865 दुधिके, पंजाब, बर्तानवी भारत में हुआ था। भारत के जैन धर्म के अग्रवंश मे जन्मे लाला लाजपत राय भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। लाला लाजपतराय को पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे। उनकी माता गुलाब देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। 1884 में उनके पिता का रोहतक ट्रांसफर हो गया और वह भी पिता के साथ आ गए। उनकी शादी 1877 में राधा देवी से हुई।

लाला लाजपतराय की शिक्षा (Education Of Lala Lajpat Rai)

लाला लाजपतराय (Lala Lajpat Rai) के पिता जी रेवाड़ी,हरियाणा के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक थे। वहीं से उन्होंने भी अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करि। फिर वह लॉ की पढ़ाई के लिए सन 1880 में लाहौर स्थित सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। 1886 में उनका परिवार हिसार शिफ्ट हो गया। फिर उन्होंने हिसार में ही लॉ की प्रैक्टिस करि। 1888 और 1889 के नैशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों के दौरान उन्होंने प्रतिनिधि के तौर पर हिस्सा लिया। हाई कोर्ट में वकालत करने के लिए 1892 में वह लाहौर चले गए थे।

बचपन से ही लाला लाजपतराय के मन में देश की सेवा करने का बड़ा शौक था और उन्होंने अपने बचपन से ही विदेशी शासन से भारत आजाद कराने का प्रण लिया था। लाजपत राय देश को आजाद कराने के लिए क्रांतिकारी रास्ता अपनाने के हिमायती थे इसलिए उन्होंने पूर्ण स्वराज की वकालत हमेशा से करि थी।

लाला लाजपतराय ने ही भारत मे पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं में से एक थे। अन्य दो नेताओं के नाम बिपिन चंद्र पाल और बाल गंगाधर तिलक था। इसलिए इन तीनो को लाल-बाल-पाल भी कहा जाता था।

लाला लाजपतराय (Lala Lajpat Rai) का राजनीतिक करियर वकालत छोड़ने के बाद शुरू हुआ। जिसके बाद उन्होंने अपनी पूरी ताकत देश को आजाद कराने झोंक दी थी। उन्होंने दुनिया के सामने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों को रखने का विचार आया था। ताकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत से आजाद करवाने में अन्य देशों का भी सहयोग मिल सके।

सन 1914 में लाजपतराय ब्रिटेन गए और फिर 1917 में यूएसए गए। अक्टूबर, 1917 में उन्होंने न्यू यॉर्क में इंडियन होम रूल लीग की स्थापना की। वह 1917 से 1920 तक अमेरिका में रहे। 1920 में जब अमेरिका से लौटे तो लाजपत राय को कलकत्ता में कांग्रेस के खास सत्र की अध्यक्षता करने के लिए आमंत्रित किया। जलियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ उन्होंने पंजाब में ब्रिटिश शासन के खिलाफ उग्र आंदोलन किया।

गांधीजी ने सन 1920 में असहयोग आंदोलन छेड़ा तो लाल लाजपतराय ने पंजाब में इस आंदोलन का नेतृत्व किया था। लेकिन जब गांधीजी ने चौरी-चौरा घटना के बाद आंदोलन को वापस लेने का फैसला किया तो लाजपतराय ने इस फैसले का विरोध किया। इस घटना के बाद लाजपतराय ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर अलग से कांग्रेस इंडिपेंडेंस पार्टी बनाई।

30 अक्टूबर सन् 1928 लाला लाजपतराय ने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में लाजपतराय बुरी तरह से घायल हो गये और 17 नवम्बर 1928 (उम्र 63) में लाहौर के बर्तानवी भारत (अब पाकिस्तान में है) में अपना शरीर त्याग दिया।

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