National Science Day 2023 [Hindi]: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल 28 फरवरी को मनाया जाता है. इस दिन देश के महान वैज्ञानिक सी वी रमन (scientist C V Raman) ने रमन प्रभाव का आविष्कार किया था, जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
हमारे देश में विज्ञान के क्षेत्र में विकास के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. आज के समय में टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में साइंस विकास करने के लिए बहुत ही बड़ी भूमिका निभाता है. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day 2023) हर साल लोगों के दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व के बारे में संदेश फैलाने और मानव कल्याण के लिए विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए मनाया जाता है.
NATIONAL SCIENCE DAY HISTORY SIGNIFICANCE IMPORTANCE IN HINDI
सीवी रमन का पूरा नाम सर चंद्रशेखर वेंकट रमन है। इनका जन्म 7 नवंबर 1888 को हुआ और 21 नवंबर 1970 बैंगलोर में निधन हुआ। विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए सीवी रमन को भारत रत्न और नोबल समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इस दिन 1928 में भारत के प्रमुख वैज्ञानिक सीवी रमन ने ‘रमन इफ़ेक्ट’ का आविष्कार किया।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का इतिहास क्या है?
1986 में नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में घोषित किया। भारत सरकार की मंजूरी के बाद पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 1987 में मनाया गया।
सीवी रामन कौन है ?

प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया। विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
रमन प्रभाव क्या है?
रमन प्रभाव के अनुसार, मॉलक्यूल्स द्वारा प्रकाश पुंज को विक्षेपित करने में प्रकाश की वेबलेंथ बदल जाती है। जब कोई एकवर्णी प्रकाश द्रवों और ठोसों से होकर गुजरता है तो उसमें आपतित प्रकाश के साथ अत्यल्प तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश देखने में आता है। चन्द्रशेखर वेंकटरमन (CV Raman) को उनकी इस खोज के लिए 1930 में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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सर सी.वी रमन जी (scientist C V Raman) को मिले सम्मान और पुरस्कार:
- 1928 में ‘रॉयल सोसायटी (लंदन)‘ का फेलो बनाया गया।
- 1930 में उन्हें भौतिकी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया। इस क्षेत्र में पुरस्कार पाने वाले वे भारत और एशिया के पहले वैज्ञानिक थे।
- 1941 में फ्रैंकलीन मेडल मिला।
- 1954 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
- 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार भी मिला।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 थीम (National Science Day 2023 Theme in Hindi)
यह मुद्दों पर चर्चा करने और विज्ञान के क्षेत्र में विकास के लिए नई तकनीकों को लागू करने को बढ़ावा देता है.साथ ही विज्ञान दिवस विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों को अवसर देने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए भी मनाया जाता है. इस वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान ‘सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण’ है.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day)
नाम | राष्ट्रीय विज्ञान दिवस |
कब मनाया जाता है | 28 फरवरी |
पहली बार कब मनाया गया था | सन 1987 में |
विश्व विज्ञान दिवस | 10 नवंबर को |
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस क्यों मनाया जाता है (Why is National Science Day Celebrated)
28 फरवरी 1928 का दिन भारतीय इतिहास में एक महान दिन था, क्योंकि इसी दिन राष्ट्रीय वैज्ञानी डॉक्टर चंद्रशेखर रमन द्वारा एक विशेष आविष्कार किया गया था. वे एक तमिल ब्राह्मण थे और ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होने भारत में कोई शोध कार्य किया था.
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इन्होने सन 1907 से लेकर 1933 तक इंडियन एसोसिएशन ऑफ द कल्टीवेशन ऑफ साइन्स, कोलकाता पश्चिम बंगाल में काम किया. इस समय में इन्होने कई विषयों पर शोध कार्य किया. जिसमें इनकी रमन प्रभाव नामक खोज एक विशेष खोज बन गई. उनके इस प्रयास के लिए उन्हे विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया और साल 1930 में उन्हे नोबल पुरुस्कार भी दिया गया.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उद्देश्य (National Science Day Objective)
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच में विज्ञान के प्रति ओर जागरूकता पैदा करना है. इतना ही नहीं इस दिवस के जरिए बच्चों को विज्ञान को बतौर अपने करियर को चुनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है. ताकि हमारे देश की आनेवाली पीढ़ी विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दे सके और हमारे देश की ओर तरक्की हो सके.
- हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न वैज्ञानिक आविष्कारों कि महत्ता बताना भी इस दिन को मनाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है.
- मानव कल्याण और प्रगति के लिए वैज्ञानिक क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना भी इस दिन को मनाने के उद्देश्यों में शामिल है.
- विज्ञान और वैज्ञानिक विकास के लिए इसी दिन सभी मुद्दो पर चर्चा की जाती है और इसी दिन नई तकनिको को लागू भी किया जाता है.
- देश में कई ऐसे लोग है, जो वैज्ञानिक सोच रखते है, इन लोगो को मौका देना और इन्हे अपने काम के लिए प्रोत्साहित करना भी इस दिवस को मनाने का एक उद्देश्य है.
National Science Day (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम) | Theme List
साल | थीम (Themes) |
2011 | दैनिक जीवन में रसायन |
2012 | स्वच्छ ऊर्जा विकल्प और परमाणु ऊर्जा |
2013 | अनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें और खाद्य सुरक्षा |
2014 | वैज्ञानिक तापमान और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा |
2015 | राष्ट्र निर्माण का विज्ञान |
2016 | मेक इन इंडिया; एस एंड टी संचालित नवाचार |
2017 | विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विज्ञान और प्रोद्योगिकी |
2018 | एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रोद्योगिकी |
2019 | विज्ञान लोगों के लिए और विज्ञान के लिए लोग |
2020 | वीमेन एंड साइंस (महिलाएं और विज्ञान) |
2021 | एसटीआई का भविष्य : शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव |
2022 | Integrated Approach in S&T for Sustainable Future (दीर्घकालिक भविष्य के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण)’ |
2023 | वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान |
- रमन प्रभाव की खोज कब हुई?
रमन प्रभाव की खोज महान वैज्ञानिक सीवी रमन ने 28 फरवरी, 1928 को की थी। - रमन प्रभाव क्या है?
रमन प्रभाव ये कहता है कि जब प्रकाश की एक तरंग एक द्रव्य से निकलती है तो इस प्रकाश तरंग का कुछ भाग एक ऐसी दिशा में प्रकीर्ण हो जाता है जो कि आने वाली प्रकाश तरंग की दिशा से भिन्न है। समुद्र के जल और आसमान का नीला रंग इसी वजह से होता है। - 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित करने का आग्रह किस साल में किया गया?
1986 में राष्ट्रीय विज्ञान और तकनीकी संचार परिषद (NCSTC) ने भारत सरकार से आग्रह किया कि 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया जाए। सरकार ने उनके आग्रह को स्वीकार लिया और उस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया।
सर सी.वी. रमन जी की मृत्यु (Death)
सर सी.वी. रमन जी जब अपनी प्रयोगशाला में प्रयोग कर रहे थे तब वह वहां गिर गए। जिसके बाद उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया तो डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, और बताया कि उनके जीवन में अब कुछ ही दिन बचे हैं।
ऐसे में वे अपने जीवन के आखिरी पल अस्पताल में ना गुजरते हुए अपने इंस्टिट्यूट के बगीचे में अपने हाथों से लगाए गए फूलों के साथ व्यतीत करना चाहते थे। और आखिरकार 21 नवंबर 1970 को 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
National Science Day Quotes in Hindi
राजनीति और धर्म का समय अब बीत गया है
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023!
विज्ञान और आध्यात्मिकता का समय आ गया है।
विज्ञान सोचने का एक तरीका है।
किसी भी देश को आगे बढ़ाने के लिए सबसे ज़्यादा योगदान विज्ञान का होता है।
जीवन विज्ञान के प्रयोग जैसा है, जितनी बार प्रयोग करेगें पहले से बेहतर सफ़लता पाएंगे।
प्रो. सीवी रमन के योगदान
- प्रोफेसर सी वी रमन ने तबला और मृदंग जैसे भारतीय ड्रमों की ध्वनि की सुरीली प्रकृति को चेक किया और ऐसा करने वाले वो पहले व्यक्ति थे.
- साल 1930 में पहली बार किसी भारतीय को विज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान, भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला.
- साल 1943 में उन्होंने बैंगलोर के पास रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की.
- भौतिकी को रमन इफेक्ट दिया, जिसका भौतिकी में बहुत खास योगदान है.
- साल 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
- साल 1957 में रमन को लेनिन शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
- सीवी रमन की खोज की याद में भारत हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है.
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