Russia Ukraine Conflict [Hindi]: रूस और यूक्रेन के बीच अब बस औपचारिक रूप से युद्ध का ऐलान होना ही बाकी रह गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (russia president putin) ने पूर्वी यूक्रेन (ukraine) के अलगाववादी हिस्सों को अलग देश के रूप में मान्यता देने के साथ ही वहां सेना भेजने का ऐलान कर दिया है। दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है वह रूस की इस कार्रवाई से डरने वाले नहीं है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक साल पूरा होने वाला है, लेकिन संघर्ष अब भी जारी है। इन दिनों रूस ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिण हिस्सों पर हमले तेज किए हैं। इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि रूस का यूक्रेन में स्पेशल ऑपरेशन लगातार जारी है, क्योंकि वह नाजी खतरों से जूझ रहा है।
पुतिन ने किन बातों पर दिया जोर
पुतिन ने संघीय विधानसभा में संबोधन के दौरान कहा कि हम विशेष रूप से आर्थिक संबंधों को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. हम पूर्वी एशिया के साथ संबंधों को बढ़ाने के लिए कज़ान, मंगोलिया और चीन के साथ राजमार्गों का विस्तार करेंगे. उन्होंने कहा कि हम भारत, ईरान और मिडिल ईस्ट देशों के साथ भी संबंधों में सुधार करने के लिए साउथ कॉरिडोर स्थापित करेंगे. रूसी राष्ट्रपति ने रेलवे से जुड़े आधुनिकीकरण सहित शिपिंग से जुड़ी योजनाओं को भी शामिल करने पर जोर दिया.
चीन हथियार न दे
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक विदेशी मीडिया को इंटरव्यू देते हुए चीन को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो रूस को हथियार न दे. चीन के लिए ये एक अवसर साबित हो सकता है. वो देख कर चीजों को समझने की कोशिश कर सकते है कि युद्ध के दौरान क्या हो रहा है. अगर चीन रूस के साथ मिल जाता है तो वर्ल्ड वॉर हो सकता है और शायद चीन इसे समझता भी है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का चीन को लेकर बयान यूएस विदेश मंत्री की चीन को दी चेतावनी के बाद आया है.
Russia Ukraine Conflict News: रूस-यूक्रेन में क्यों है विवाद?
पिछले कई सदियों से रूसा साम्राज्य का हिस्सा रहा यूक्रेन सोवियत संघ का भी हिस्सा रहा और साल 1991 में जब सोवियत संघ का विखंडन हो गया, उस वक्त पहली बार यूक्रेन एक स्वतंत्र वजूद में आया। सोवियत संघ से अलग होने के बाद यूक्रेन ने तेजी से रूस के साथ अपने संपर्कों को खत्म करना शुरू कर दिया है और उसने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के साथ तेजी से मजबूत संबंध स्थापित करने शुरू कर दिए। लेकिन, यूक्रेन के लिए ऐसा करना आसान नहीं था। क्योंकि, अगर यूक्रेन की सियासत का एक हिस्सा पश्चिमी देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाना चाहता था, तो एक हिस्सा रूस के साथ नाता तोड़ने को तैयार नहीं था।
ये झगड़ा लगातार बढ़ता गया और साल 2014 में रूस की तरफ झुकाव रखने वाले राष्ट्रपति विक्टर यनुकोविच ने यूरोपीय संघ के साथ एक समझौते को अस्वीकार कर दिया, जिसका बड़े पैमाने पर यूक्रेन में विरोध किया गया और असर ये हुआ, कि रूस की तरफ रूझान रखने वाले राष्ट्रपति विक्टर यनुकोविच को सत्ता से हटा दिया गया। रूस की तरफ से आरोप लगाया गया, कि यूक्रेन की राजनीति में उथल-पुथल पश्चिमी देशों की तरफ से मचाया गया है और फिर रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर हमला साल 2014 में हमला कर दिया और उसपर कब्जा जमा लिया।
यूक्रेन विवाद में रूस क्या चाहता है?
रूस क्या चाहता है, इससे महत्वपूर्ण सवाल ये है, कि रूस क्या नहीं चाहता है। रूस यूक्रेन को नाटो में शामिल होने देना नहीं चाहता है और पिछले दिसंबर में जब अमेरिका और रूस के बीच बातचीत की गई थी, तो रूस ने साफ तौर पर कहा था, कि रूस की सीमा के पास वो किसी भी नाटो युद्धाभ्यास के खिलाफ है। जिसका अभी भी नाटो की तरफ से जवाब नहीं दिया गया है। लेकिन, जब रूस की तरफ से कई बार अल्टीमेटम जारी किए गये, तो नाटो की तरफ से सैन्य अभ्यास बंद करने से मना कर दिया गया। इसके साथ ही रूस चाहता है, कि पूर्वी यूरोप से भी नाटो गठबंधन की सेना पीछे हटे, लेकिन नाटो ने ऐसा करने से भी इनकार कर दिया है।
इसके साथ ही रूसी राष्ट्रपति ने अमेरिका से कहा था, कि ‘रूस को इस बात की गारंटी चाहिए, कि नाटो की सेना पूर्वी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ेगी और जिन हथियारों को नाटो लेकर आई है, उसे पूर्वी यूरोप से बाहर लिया जाए’। रूसी राष्ट्रपति ने साफ कहा था, कि रूसी सीमा पर आकर किसी भी सेना को उसे धमकाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। रूसी राष्ट्रपति ने साफ तौर पर कहा कि, उन्हें सिर्फ मौखिक आश्वासन नहीं, बल्कि कानूनी गारंटी भी चाहिए।
Russia Ukraine Conflict News: बाइडेन ने जेलेंस्की को दिया मदद का भरोसा
यूक्रेन और अमेरिका में लगातार शीर्ष स्तर पर बैठकों को दौर भी जारी है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से भी बात की। व्हाइट हाउस के मुताबिक बाइडेन ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को साथ होने का भरोसा दिया। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले की कड़ी निंदा भी की। राष्ट्रपति बिडेन ने कहा कि यूएसए, यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण को रोकने के लिए जरूरी कदम भी उठाएगा। वहीं व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ भी एक सुरक्षित लाइन पर बात की। दोनों देश के शीर्ष नेताओं ने भी पुतिन के फैसले की कड़ी निंदा की। यहां तय हुआ कि इस मामले पर तीनों ही देश करीब से नजर रखेंगे।
पुतिन का फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ
अमेरिक के विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकेन ने एक बयान में कहा कि हम तथाकथित डोनेट्स्क और लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक को अलग देश के रूप में मान्यता देने के राष्ट्रपति पुतिन के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य देशों का दायित्व है कि वे खतरे या बल प्रयोग के माध्यम से बनाए गए एक नए देश को मान्यता न दें। कहा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन का का निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंडों के खिलाफ है।
Russia Ukraine Conflict News: अमेरिका पर जमकर निकला पुतिन का गुस्सा
पुतिन ने आगे कहा कि यूक्रेन अपने आप में सक्षम नहीं है, इसलिए अमेरिका जैसे अन्य देशों पर निर्भर रहता है। यूक्रेन में अमेरिकी दूतावास वहां बहुत कुछ कंट्रोल कर रहा है। पिछले कुछ महीनों में यूक्रेन के पास पश्चिमी हथियारों का बड़ा स्टॉक भर गया है। पुतिन ने यूक्रेन की परमाणु हथियार की योजना को लेकर भी चिंता जाहिर की। इससे पहले व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने जानकारी दी थी कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन व्हाइट हाउस में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ बैठक कर रहे हैं। यह टीम उन्हें रूस और यूक्रेन के घटनाक्रम के बारे में नियमित रूप से जानकारी दे रही है।
पुतिन ने बुलाई थी शीर्ष अधिकारियों की बैठक
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने पर विचार-विमर्श करने के लिए सोमवार को शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई, जब पश्चिमी देशों को इस बात का डर है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह पूर्वी यूक्रेन में झड़पों को, हमले करने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
रूस ने तेज किया अपना सैन्य अभ्यास
यूक्रेनी प्राधिकारियों ने कोई भी आक्रमण करने से इनकार किया है और रूस पर उकसाने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि रूस ने रविवार को यूक्रेन की उत्तरी सीमाओं के पास सैन्य अभ्यास बढ़ा दिया था। उसने यूक्रेन की उत्तरी सीमा से लगे बेलारूस में करीब 30,000 सैनिकों की तैनाती की है। साथ ही यूक्रेन की सीमाओं पर 1,50,000 सैनिकों, युद्धक विमानों और अन्य साजो-सामान की तैनाती कर रखी है। कीव की आबादी करीब 30 लाख है।
कीव से दिल्ली के लिए अतिरिक्त उड़ानें
यूक्रेन में जारी उच्च स्तरीय तनाव को देखते हुए भारत ने अतिरिक्त उड़ानों को संचालित करने का फैसला किया है। यूक्रेन में भारतीय दूतावास के मुताबिक, कीव से दिल्ली के लिए चार उड़ानें 25 फरवरी, 27 फरवरी और 6 मार्च, 2022 को संचालित होंगी।
Russia Ukraine Conflict News: यूक्रेन रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट
रूस-यूक्रेन संकट के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए प्रयास शुरू हो गया है। मंगलवार सुबह एयर इंडिया का विशेष विमान यूक्रेन रवाना हो गया है। भारत की ओर से 200 से अधिक सीटों वाले ड्रीमलाइनर बी-787 विमान को विशेष अभियान के लिए तैनात किया गया है।
हम शांति चाहते हैं, लेकिन उकसावे में नहीं आएंगे-यूक्रेन
यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि, हम शांति चाहते हैं। हम अपने कार्य करने में सक्षम हैं और राजनयिक समझौते के लिए प्रतिबंध हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन किसी भी उकसावे के आगे नहीं झुकेगा।
Russia Ukraine Conflict News: डोनबास क्षेत्र पर विवाद
यूक्रेनके अलगाववादी दोनेत्सक और लुहांस्क क्षेत्रों को एक साथ डोनबास (Donbass ) कहा जाता है. यह क्षेत्र यूक्रेनी सरकार के प्रभाव से 2014 में अलग हो गए थे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यूक्रेन कहता है कि 2014 की लड़ाई में 15,000 लोग मारे गए थे. रूस इस लड़ाई में सीधे तौर से शामिल नहीं होने का दावा करता है लेकिन रूस की तरफ से अलगाववादियों को हथियार और आर्थिक मदद दी गई. साथ ही रूस ने यहां के करीब 8 लाख लोगों को रूसी पासपोर्ट भी दिया. लेकिन फिर भी रूस कहता है कि वो यूक्रेन पर कब्जा करने की योजना नहीं रखता.

Russia Ukraine Conflict News: अब पश्चिमी देश क्या करेंगे?
पश्चिमी देश लंबे समय से रूस को यह चेतावनी दे रहे हैं कि यूक्रेन के बॉर्डर पर अगर रूस सैन्य कार्रवाई करता है तो उसे सख़्त जवाब मिलेगा और कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे. अमेरिका के विदेश मंत्रालय की तरफ से पिछले हफ्ते ही कहा गया था कि यूक्रेन की संप्रभुता और सीमाई अखंडता को कम करने की कोशिश अंतर्राष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन होगी और इस समस्या को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने के रास्ते भी बंद हो सकते हैं. और रूस के ऐसा करने पर अमेरिका और उसके सहयोगियों की ओर से प्रतिक्रिया दी जाएगी.
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संयुक्त राष्ट्र ने रूस के फैसले को यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन बताया
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने यूक्रेन के दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों की ‘‘स्वतंत्रता’’ को मान्यता देने के रूस के फैसले पर सोमवार को गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि मॉस्को का फैसला यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुत्ता का ‘‘उल्लंघन’’ है तथा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों के विरुद्ध है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘‘दोनेत्स्क और लुहांस्क गणराज्यों’’ की ‘‘स्वतंत्रता’’ को मान्यता देने के आदेश पर हस्ताक्षर किए।
यूरोपीय संघ लगाएगा रूस पर प्रतिबंध- जोसेप बोरेल
यूरोपीय संघ के विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने यूक्रेन संकट पर बयान दिया। उन्होंने कहा, यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों की मान्यता और यूक्रेन क्षेत्र पर सैनिकों की और तैनाती पर रूस के खिलाफ आज प्रतिबंधों को लगाएगा।
शांति चाहता है भारत- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
यूक्रेन के हालात पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की प्रतिक्रिया आई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भारत यूक्रेन के मामले पर यही चाहता है कि बातचीत के जरिए समाधान निकाला जाए। अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा है कि वे रूस के राष्ट्रपति के साथ बात करेंगे। अगर इन दोनों की बातचीत होगी तो निश्चित तौर पर समाधान निकलेगा। जहां तक भारत की बात है भारत शांति चाहता है।
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