Savitribai Phule Jayanti [Hindi]: Quotes, Hindi Essay, Speech

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Savitribai Phule Jayanti 2023 [Hindi]। सावित्रीबाई फुले जयंती आज पूरे देश में उत्साह के साथ मनाई जा रही है। 3 जनवरी 1831 को ब्रिटिश भारत जन्मी सावित्रीबाई फुले एक प्रख्यात समाजसेविका थी। उन्होंने प्लेग जैसी महामारी के दौरान भी परोपकारी काम किए। 19वीं सदी की समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले को महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण काम करने के लिए जाना जाता है। सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ पुणे में भिडे वाडा में पहली कन्या विद्यालय की स्थापना की। आज सावित्रीबाई फुले की जयंती पर यहां जानें उनके अनमोल विचारों और कोट्स –

भारत की पहली महिला शिक्षिका (India’s First Women Teacher) सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule)

नई दिल्‍ली, समाजसुधारक, समाज मे महिलाओं को सम्मान दिलाने और शिक्षा की ओर अग्रसर करने वाली सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) देश की प्रथम महिला शिक्षिका (First Women Teacher) थी।

आज देश मे सरकारें महिलाओं को हर क्षेत्र में अग्रिणी करने की हर संभव कोशिश कर रही है। लेकिन जो सरकार आज कर रही है यह कार्य देश की प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) ने 19वीं सदी में ही आरंभ कर दिया था ।

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भारत की प्रथम महिला शिक्षिका और समाजसेवी सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सतारा के एक छोटे से गांव नायगांव में हुआ था । सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) का ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) से विवाह सिर्फ 9 साल की उम्र में ही हो गया था । उस समय ज्योतिराव फुले की उम्र भी 12 साल ही थी । ज्‍योतिबा फुले (Jyotiba Phule) भी एक समाजसेवी थे और इसी के साथ वह लेखन का कार्य भी करते है।

जब सावित्रीबाई ने यशवंतराव को गोद

सावित्रीबाई (Savitribai) और ज्योतिबा (Jyotiba) की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने यशवंतराव को गोद लिया था। सावित्रीबाई फुले को भी पढ़ना-लिखना पति ज्योतिराव ने ही सिखाया था ज्‍योतिबा फुले (Jyotiba Phule) ने अपने समाजसेवा का कार्य स्त्रियों की दशा सुधारने और समाज में उन्‍हें पहचान दिलाने के साथ शुरू किया । जिसमें उन्होंने समाज मे स्त्रियों को शिक्षा और उन्हे आत्मनिर्भर होने के लिये सन 1854 में पुणे में एक स्‍कूल खोला था । दरसल यह देश का पहला ऐसा स्‍कूल भी बना था । जो सिर्फ और सिर्फ लड़कियों के लिए खोला गया था । जिसमें कुल नौ लड़कियों ने दाखिला लिया था ।

Savitribai Phule Jayanti: स्कूल तो खोल दिया गया था लेकिन स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया था । इसी के साथ सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) देश की प्रथम महिला शिक्षिका भी बन गयी थी सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) ने ही भारत में लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलने का काम जोर-शोर से किया ।

Savitribai Phule Jayanti: सावित्रीबाई के समाज सुधार

दरसल आजादी से पहले पुणे बॉम्बे प्रेसिडेंसी में स्थित था। ब्रिटिश शासकों ने फुले दंपति की समाज सुधार के कार्यक्रम को सराहा ओर इसी के लिए फुले दंपति को महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए 1852 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने सम्मानित भी किया। ओर उनके लड़कियों को समाज मे सम्मान दिलाने में उनकी मदद करि । 19वी सदी में हिन्दू धर्म में बाल विवाह काफी प्रचलित था या यूं कहें की गलत प्रथा थी । उस समय मृत्यु दर अधिक होने के कारण कई लड़कियां बाल विधवा हो जाया करती थी ।वही बाल विधवा हुई लड़कियों का विवाह इन परम्पराओं के चलते समाज मे नही हो पाता था । फुले दंपति ने बाल विवाह के खिलाफ भी सामाजिक सुधार आंदोलन चलाया

  • सावित्रीबाई फुले ने सन 1897 में अपने बेटे यशवंतराव के साथ मिलकर अस्पृश्य माने जाने प्लेग रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए अस्पातल भी खोला था। पुणे स्थित इस अस्पताल में सावित्री बाई मरीजो का देखभाल करते थी और उनके बेटे यशवंतराव मरीजों का इलाज करते थे । मरीजों की देखभाल करते हुए सावित्रीबाई फुले खुद भी इस बीमारी की शिकार हो गईं और उनका देहांत 10 मार्च 1897 को हो गया ।
  • समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले शिक्षिका होने के साथ-साथ कवयित्री भी । उन्होंने अपने इस हुनर के साथ उन्होंने 2 काव्य पुस्तकें लिखीं- काव्य फुले, बावनकशी सुबोधरत्नाकर। केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने सावित्रीबाई फुले की स्मृति में कई पुरस्कारों की स्थापना की है । जिसमे सावित्री बाई ओर ज्योतिबा के नाम से एक डाक टिकट भी जारी किया गया है। वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली में पहली महिला अध्यापिका थीं ।

सावित्रीबाई फुले की जीवनी (Biography)

  • जन्म: सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र राज्य के छोटे से गांव ‘नायगांव‘ के एक दलित किसान परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम ‘खन्दोजी नेवसे‘ तथा माँ का नाम ‘लक्ष्मी‘ था।
  • विवाह (पति और बच्चे):
    सावित्रीबाई जब मात्र 9 वर्ष की थी तब उनका विवाह ‘ज्योतिबा (ज्योतिराव) फुले‘ से हुआ था, जो उस समय 12-13 साल के थे। वैसे तो उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी, लेकिन उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र ‘यशवंतराव‘ को गोद लिया था।
  • शिक्षा (Education):
    उनका जन्म एक ऐसे समाज में हुआ, जहाँ लडकियों का विद्यालय जाना वर्जित था, तथा कन्या शिक्षा को पाप माना जाता था। वही दूसरी ओर ज्योतिराव (Jyotirao Phule) भी अपनी जाति के कारण सातवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए थे। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, उनके पति ज्योतिबा ने ही उन्हें घर पर शिक्षित किया।सावित्रीबाई ने जोतिराव के साथ अपनी प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद, उनकी आगे की शिक्षा भी ग्रहण की और उन्होंने ब्रिटिश शासन में दो शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी दाखिला लिया।
  • लडकियों के लिए स्कूल की शुरुआत:
    जब उन्होंने लडकियो के लिए स्कूल की शुरुआत कि तो ऐसे तुच्छ समाज में उनका स्कूल पढ़ाने जाना कठिनाईयों से भरा था।जब वे स्कूल पढाने जाती थी तो लोग उन्हें पत्थर मरते और उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर आदि फेंकते परंतु वह अपने पथ से कभी नहीं हटी, वे इससे लड़ने के लिए हमेशा से ही खुद को तैयार करके रखती थी।वे विद्यालय जाते समय अपने थैले में एक Extra साड़ी लेकर जाती थी और स्कूल पहुंचकर उस गन्दी साड़ी को बदल लिया करती थी।

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